piyush Panday No More
परिचय
आज हम एक ऐसे दिग्गज शख्सियत के बारे में बात कर रहे हैं जिन्होंने भारतीय विज्ञापन-प्रसारण (advertising) की दिशा ही बदल दी — पियूष पांडे। वे सिर्फ एक क्रिएटिव डायरैक्टर नहीं थे, बल्कि उन्होंने हिन्दी तथा भारतीय भाषा-संस्कृति को ब्रांड संचार (brand communication) में पूरी तरह से स्थापित किया। और दुःख की बात है कि उनका निधन हो गया है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस महान शख्सियत की ज़िंदगी-कर्म, उनकी उपलब्धियों, उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत, और हम सब पर उनका क्या असर हुआ, इस पर गहराई से चर्चा करेगा — SEO मित्रवत तरीके से।
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1. प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
पियूष पांडे का जन्म 5 सितंबर 1955 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी St. Stephen’s College, Delhi से।
उनका प्रारंभिक जीवन विज्ञापन-उद्योग से जुड़ने से पहले सामान्य था — लेकिन उनकी दृष्टि, संवाद की समझ और भारतीय भाषा-संस्कृति को संचार का हिस्सा बनाने की चाह ने उन्हें विशिष्ट बना दिया।
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2. विज्ञापन उद्योग में प्रवेश और उछाल
पियूष पांडे ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1982 में Ogilvy India में की थी।
उन्होंने जल्दी ही सेवा-क्लाइंट (client servicing) से क्रिएटिव विभाग (creative department) में स्थानान्तरण किया, जहाँ उनका सृजन-दक्षता सामने आई।
उन्होंने हिन्दी व भारतीय भाषाओं को विज्ञापन में सक्रिय रूप से प्रयोग किया। इसके परिणामस्वरूप, विज्ञापन-उद्योग में पहले से प्रचलित अंग्रेज़ी-प्रसारित शैली से एक बदलाव देखने को मिला।
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3. प्रतिष्ठित अभियानों का इतिहास
उनकी क्रिएटिव यात्रा में कई आइकॉ닉 विज्ञापन (iconic ad campaigns) शामिल हैं जिनमें जनता-संवेदना, भाषा-सहजता और सृजनात्मकता का समन्वय था:
Fevicol “तोड़ो नहीं, जोड़ो” जैसी यादगार टैगलाइन-कैंपेन।
Cadbury “कुछ खास है” जैसी स्नेहपूर्ण विज्ञापन-रूप।
Asian Paints “हर घर कुछ कहता है” जैसी थीम आधारित विज्ञापन।
संग-साथ सामाजिक अभियानों में भी उनकी भागीदारी रही — जैसे महिलाओं का सशक्तिकरण, स्वास्थ्य जागरूकता आदि।
उनकी भाषा-स्मार्टनेस, स्थानीय भावनाओं को पकड़ने की क्षमता और सरल लेकिन गहरा संवाद उन्होंने ब्रांड्स में जीवित कर दिया।
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4. प्रमुख पद और पुरस्कार
उन्होंने Ogilvy India में कई पदों पर कार्य किया — अंततः वे Global Chief Creative Officer (Worldwide) एवं Executive Chairman India बने।
उन्हें 2016 में भारत सरकार द्वारा नागरिक सम्मान Padma Shri से सम्मानित किया गया था।
2024 में उन्हें LIA Legend Award भी मिला।
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5. निधन और शोक
बहुत दुःख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि पियूष पांडे का निधन 23 अक्टूबर 2025 को हो गया था, उम्र 70 वर्ष।
उद्योग में उनके जाने से एक युग की समाप्ति सी हो गयी है, और उनके साथी-कलाकार, विज्ञापन जगत के दिग्गज इस खबर पर शोक व्यक्त कर रहे हैं।
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6. उनकी विरासत और प्रभाव
6.1 भारतीय विज्ञापन की दिशा बदली
पियूष पांडे ने विज्ञापन-उद्योग में भारतीय संवाद, भावनात्मक जुड़ाव और स्थानीय-कहानी को प्रमुख बनाया।
उन्होंने साबित किया कि ब्रांड संचार सिर्फ ग्लोबल फॉर्मूला नहीं हो सकता — उसे देश-भाषा, संस्कृति और जन-भावना से जूड़ना होगा।
6.2 पीढ़ियों को प्रेरणा
तीनों दशकों से भी अधिक समय तक सक्रिय रहने वाले पांडे ने न केवल ब्रांड्स बल्कि क्रिएटिवर्स को भी प्रेरित किया। उनके नीचे कार्य करने वालों ने अनेक उत्कृष्ट कार्य diye।
6.3 भाषा-सामर्थ्य का प्रयोजन
उनकी सफलता यह संदेश देती है कि विज्ञापन-संदेश को उस भाषा में कहो जिसमें उपयोगकर्ता खुद सोचता है। उन्होंने अंग्रेज़ी-प्रसारित मॉडल को चुनौती दी और हिन्दी-भाषा सहित अन्य स्थानीय भाषाओं को सशक्त बनाया।
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