शरद पूर्णिमा 2025

 🌕 शरद पूर्णिमा 2025 – चाँदनी रात की अद्भुत शक्ति और महत्व


भारत में हर त्योहार का अपना एक अनोखा महत्व है। इन्हीं में से एक है शरद पूर्णिमा, जिसे “कोजागरी पूर्णिमा” या “रास पूर्णिमा” भी कहा जाता है। यह त्योहार शरद ऋतु की पहली पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब चाँद अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और अपनी ठंडी, चमकदार रोशनी से पूरी धरती को नहलाता है।


🌸 शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि और मुहूर्त


शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि: रविवार, 12 अक्टूबर 2025

पूर्णिमा तिथि आरंभ: 12 अक्टूबर, सुबह 4:28 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 13 अक्टूबर, सुबह 2:45 बजे


इस रात चंद्रमा की रोशनी को विशेष रूप से पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इसी कारण लोग इस रात खीर बनाकर चाँदनी में रखने की परंपरा निभाते हैं।


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🌕 शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व


हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष धार्मिक स्थान है। मान्यता है कि इसी दिन माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति इस रात जागरण करता है, उसे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।


इसके अलावा, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी रात वृंदावन में महान रासलीला रचाई थी, जिसमें सभी गोपियाँ सम्मिलित हुईं। इसलिए इस दिन को “रास पूर्णिमा” भी कहा जाता है।


शास्त्रों में कहा गया है —


> “पूर्णिमा तिथौ यः कुरुते जागरणम्, तस्य लक्ष्मीः नित्यं वसति।”

अर्थात, जो व्यक्ति शरद पूर्णिमा की रात जागरण करता है, उसके घर सदैव लक्ष्मी का निवास होता है।





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🥣 शरद पूर्णिमा और खीर का वैज्ञानिक रहस्य


इस दिन घर-घर में दूध और चावल की खीर बनाई जाती है। खीर को रात भर खुली चाँदनी में रखा जाता है, और सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।


वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो शरद पूर्णिमा की रात चाँदनी में विशेष ऊर्जा तरंगें (cosmic rays) होती हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाती हैं।

जब खीर को चाँदनी में रखा जाता है तो उसमें चंद्रमा की शीतल किरणों के कैल्शियम, जिंक और सकारात्मक आयन समाहित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं।


इसलिए कहा जाता है —


> “शरद की चाँदनी, अमृत से भी मीठी।”


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🌼 इस दिन क्या करें (पूजा विधि)


1. प्रातः स्नान कर सफेद वस्त्र पहनें।



2. माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें।



3. धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें।



4. चाँद को अर्घ्य दें और खीर का भोग लगाएँ।



5. रात में लक्ष्मी जागरण करें या भजन-कीर्तन करें।



6. चाँदनी में रखी खीर को अगले दिन सुबह प्रसाद रूप में ग्रहण करें।





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💫 व्रत और जागरण का महत्व


कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं और पूरी रात जागरण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस रात जागने से मन और तन दोनों शुद्ध होते हैं।

लोग चाँद की रोशनी में ध्यान, भजन या ध्यान साधना भी करते हैं ताकि मन को शांति और मानसिक संतुलन मिल सके।


शरद पूर्णिमा की रात को वातावरण में नमी और ठंडक बढ़ जाती है। इस समय चाँद की किरणों से शरीर को प्राकृतिक शीतलता और ऊर्जा मिलती है, जो मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होती है।



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🪔 आधुनिक युग में शरद पूर्णिमा


आज के समय में भी शरद पूर्णिमा की परंपरा उतनी ही लोकप्रिय है। लोग अपने घरों की बालकनी या छत पर खीर रखकर चाँद को निहारते हैं, कुछ जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और रास गरबा भी आयोजित किए जाते हैं।

सोशल मीडिया पर लोग #SharadPurnima, #KojagiriNight, #RasPurnima जैसे हैशटैग्स के साथ फोटो शेयर करते हैं।


कई लोग इसे “Health Moon Night” के नाम से भी मनाने लगे हैं क्योंकि यह रात मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए उपयोगी मानी जाती है।



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🌙 वैज्ञानिक दृष्टि से शरद पूर्णिमा की रात


1. चंद्रमा का प्रभाव: इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब होता है और उसकी रोशनी सबसे ज्यादा होती है।



2. प्राकृतिक ऊर्जा: वैज्ञानिक कहते हैं कि इस दिन की रोशनी में ultraviolet rays बहुत कम होती हैं, इसलिए यह शरीर के लिए हानिकारक नहीं होती।



3. आयुर्वेदिक दृष्टि से लाभ: इस रात दूध और चाँदनी के संयोजन को आयुर्वेद में प्राकृतिक टॉनिक कहा गया है। यह शरीर की गर्मी और मानसिक तनाव को कम करता है।





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🌺 सांस्कृतिक विविधता


भारत के विभिन्न राज्यों में इस दिन को अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है:


महाराष्ट्र: इसे कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है। लोग दूध पीते हुए पूरी रात जागते हैं और “को जागर्ति” (कौन जाग रहा है) कहते हैं — माना जाता है कि जो जाग रहा होता है, उसे लक्ष्मी माता आशीर्वाद देती हैं।


उत्तर प्रदेश और बिहार: लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करते हैं।


गुजरात: इस दिन गरबा और डांडिया का आयोजन किया जाता है।


बंगाल: यहाँ इसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा कहा जाता है और बड़े स्तर पर पूजा होती है।




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🌕 शरद पूर्णिमा से जुड़ी कहानियाँ


एक कथा के अनुसार, एक समय एक गरीब ब्राह्मण दंपति बहुत निर्धन था। एक दिन लक्ष्मी जी ने स्वप्न में आकर कहा – “जो भी शरद पूर्णिमा की रात जागरण करेगा, मैं उसके घर धन की वर्षा करूँगी।”

ब्राह्मण दंपति ने जागरण किया, और कुछ ही दिनों में उनका जीवन समृद्ध हो गया। तभी से यह परंपरा चल पड़ी कि जो इस रात जागता है, उसे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

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