मिजाज मखाने का | Benefits OF FOX-NUT | MAKHANA ORGANIC FOOD|
TAL MAKHANA KE MIZAZJ | Benefits OF FOX-NUT | MAKHANA ORGANIC FOOD|
मखाना आमतौर पर व्रत
पूजा पाठ में
भी इस्तेमाल किया
जाता है , और
घर म बने
विभिन प्रकार क
व्यंजनों में सम्लित
हो खाने का
जायका और स्वाद दोनों
बढ़ा देता है|
चलिये जल्दी से जान
लेते है मखाना
के पोषक तत्वों
के बारे में:-
पोषक
तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम
कैलोरी 393 kcal
प्रोटीन 10.71 ग्राम
फैट 10.71 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 71.43 ग्राम
फाइबर 3.6 ग्राम
शुगर 3.57 ग्राम
कैल्शियम 18 मिलीग्राम
पोटेशियम 57 मिलीग्राम
सोडियम 750 मिलीग्राम
फैटी
एसिड टोटल सैचुरेटेड 1.79 ग्राम
कैसे बनता है मखाना और कैसे होती है इसकी खेती ?
इसे
भारत के कई
छेत्रों में लावा
भी कहते हैं। तालाब,
झील, दलदली क्षेत्र
के शांत पानी
में उगने वाला
मखाना पोषक तत्वों
से भरपूर एक
जलीय उत्पाद है।
मखाने के बीज
को भूनकर इसका
उपयोग मिठाई, नमकीन,
खीर आदि बनाने
में होता है।
मखाने में 9.7% आसानी
से पचनेवाला प्रोटीन,
76% कार्बोहाईड्रेट, 12.8% नमी, 0.1% वसा, 0.5% खनिज
लवण, 0.9% फॉस्फोरस एवं प्रति
१०० ग्राम 1.4 मिलीग्राम
लौह पदार्थ मौजूद
होता है। इसमें
औषधीय गुण भी
होता है।
बिहार
के मिथिलांचल की
संस्कृति के मौलिक
पक्ष को मजबूत
करने में माछ
यानी मछली, पान
और मखाने का
खास योगदान है।
जायकेदार, पौष्टिक और औषधीय
गुणों वाले मखाने
की खेती भले
ही दुनिया के
अलग-अलग इलाकों
में होती हो,
पर भारत में
मिथिलांचल के मखाने
की बात ही
कुछ और है।
दुनिया
के कई देशों
में मखाने की
खेती के लिए
किस तरह की
तकनीकें अपनाई जाती हैं
और वे भारत
में कैसे फायदेमंद
है, इस पर
सरकार की कोई
नीति या योजना
काम नहीं कर
पाई है। देश
की कुल मखाना
खेती का 80 फीसदी
भाग बिहार में
होता है और
यहां सब से
ज्यादा खेती मिथिलांचल
के सहरसा, सुपौल,
दरभंगा और मधुबनी
जिलों में होती
है।
मखाना
पानी की एक
घास है, जिसे
कुरूपा अखरोट भी कहा
जाता है। यह
बिहार के उथले
पानी वाले तालाबों
में बढ़ने वाली
घास है। इसके
बीज सफेद और
छोटे होते हैं,
दिसंबर से जनवरी
के बीच मखाना
के बीजों की
बोआई तालाबों में
होती है। पानी
की निचली सतह
पर बीजों को
गिराया जाता है।
अधिक पानी वाले
गहरे तालाब मखाने
की खेती के
लिए सहीं नही
होते, कम और
उथले पाली वाले
तालाबों में 1 से डेढ़
मीटर की दूरी
पर बीज गिराए
जाते हैं। एक
हेक्टेयर तालाब में 80 किलो
बीज बोए जाते
हैं।
अप्रैल
के महीने में
पौधों में फूल
लगते हैं। फूल
पौधों पर 3-4 दिन
तक टिके रहते
हैं। और इस
बीच पौधों में
बीज बनते रहते
हैं। 1-2 महीनों में बीज
फलों में बदलने
लगते हैं। फल
जून-जुलाई में
24 से 48 घंटे तक
पानी की सतह
पर तैरते हैं
और फिर नीचे
जा बैठते हैं।
फल कांटेदार होते
है। 1-2 महीने का समय
कांटो को गलने
में लग जाता
है, सितंबर-अक्टूबर
महीने में पानी
की निचली सतह
से किसान उन्हें
इकट्ठा करते हैं,
फिर उन की
प्रोसेसिंग का काम
शुरू किया जाता
है।
सूरज
की धूप में
बीजों को सुखाया
जाता है। बीजों
के आकार के
आधार पर उन
की ग्रेडिंग की
जाती है। उन्हें
फोड़ा और उबाला
जाता है। उन्हें
भून कर तरह-तरह के
पकवान, खीर वगैरह
खाने की चीज
तैयार की जाती
है।
मखाना के चमत्कारी फायदे:-
1. एंटी-एजिंग बेनिफिट्स ऑफ
मखाना
त्वचा
से संबंधित समस्याओं
में मखाने के
उपयोग पर किए
गए एक शोध
में पता चला
है कि मखाना
एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर
होता है। यह
गुण त्वचा पर
आने वाले एजिंग
के प्रभाव जैसे
झुर्रियों को दूर
करने में मददगार
साबित हो सकता
है ।
2. किडनी
के लिए बेनिफिट्स
ऑफ मखाना
मखाने
का उपयोग किडनी
के लिए भी
फायदेमंद हो सकता
है। एनसीबीआई के
एक शोध में
जिक्र मिलता है
कि मखाने का
सेवन अन्य समस्याओं
जैसे दस्त के
साथ किडनी से
जुड़ी परेशानियों से
बचाव का काम
कर सकता है
। हालांकि, यहां
यह स्पष्ट नहीं
है कि इसका
कौन-सा गुण
किडनी के लिए
लाभदायक हो सकता
है।
3. मसूड़ों
के लिए मखाना
खाने के फायदे
शोध में पाया गया है कि मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं । मखाने में पाए जाने वाले ये दोनों गुण मसूड़े संबंधित सूजन और बैक्टीरियल प्रभाव के कारण होने वाली दांतों की सड़न को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं। इस कारण माना जा सकता है कि मखाने में पाए जाने वाले ये गुण मसूड़ों की सूजन के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
4. अनिद्रा
में मखाने के
लाभ
अनिद्रा
यानी नींद न
आने की समस्या
में मखाना के
लाभ देखे जा
सकते हैं। इससे
जुड़े एक शोध
में जिक्र मिलता
है कि अनिद्रा
की समस्या के
लिए मखाने का
इस्तेमाल पारंपरिक रूप से
किया जाता है
। हालांकि, इस
लाभ के पीछे
मखाने का कौन-सा गुण
जिम्मेदार होता है,
फिलहाल इससे जुड़ा
सटीक वैज्ञानिक शोध
उपलब्ध नहीं है।
5. गर्भावस्था
में मखाना खाने
के फायदे
गर्भावस्था
में मखाना का
सेवन करना फायदेमंद
हो सकता है।
गर्भावस्था में महिलाओं
के लिए मखाने
का उपयोग कई
प्रकार के पकवानों
में मिलाकर किया
जाता है। एक
शोध के अनुसार,
मखाने का उपयोग
गर्भावस्था के दौरान
और प्रसव के
बाद की होने
वाली कमजोरियों को
दूर करने के
लिए किया जा
सकता है। इसके
अलावा, इसमें कई प्रकार
के पोषक तत्व
जैसे की आयरन,
प्रोटीन, मैग्नीशियम और पाेटेशियम
जैसे पोषक तत्व
पाए जाते हैं,
जो गर्भावस्था के
दौरान महिला को
स्वस्थ रखने में
मदद कर सकते
हैं ।
6. प्रोटीन
का अच्छा स्रोत
मखाने
में प्रोटीन की
मात्रा पाई जाती
है। 100 ग्राम मखाने में
लगभग 10.71 ग्राम प्रोटीन पाया
जाता है ।
इसलिए, ऐसा कहा
जा सकता है
कि मखाना खाने
के फायदों में
प्रोटीन की कमी
को पूरा करना
भी शामिल है।
इसके नियमित उपयोग
से शरीर में
प्रोटीन की आवश्यक
मात्रा की पूर्ति
के साथ, उसकी
कमी से होने
वाली कई समस्याओं
को भी दूर
किया जा सकता
है।
7. हृदय
के लिए मखाना
का गुण
जैसा
कि हमने ऊपर
बताया कि मखाने
का सेवन उच्च
रक्तचाप को नियंत्रित
करने का काम
कर सकता है
। इसके अलावा,
यह मधुमेह और
बढ़ते वजन को
भी नियंत्रित कर
सकता है ।
वहीं, उच्च रक्तचाप,
मधुमेह और मोटापे
को हृदय रोग
का जोखिम कारक
माना जाता है
। इस आधार
पर कहा जा
सकता है कि
मखाने का सेवन
इन समस्याओं से
बचाव कर इनसे
होने वाले हृदय
रोग के जोखिम
को कम कर
सकता है। वहीं,
एक अन्य शोध
में जिक्र मिलता
है कि कमल
का बीज यानी
मखाना कार्डियोवस्कुलर रोग
(हृदय संबंधी) से
बचाव का काम
कर सकता है
।
8. डायबिटीज
में मखाने के
फायदे
डायबिटीज
की समस्या से
राहत पाने के
लिए भी मखाने
का उपयोग किया
जा सकता है।
एक शोध के
आधार पर इस
बात की पुष्टि
की गई है
कि मखाने में
पाए जाने वाले
रेसिस्टेंट स्टार्च में हाइपोग्लाइसेमिक
(ब्लड शुगर को
कम करने वाला)
प्रभाव पाया जाता
है। यह प्रभाव
मधुमेह की समस्या
को नियंत्रित करने
में सहायक साबित
हो सकता है।
इसके अलावा, यह
इंसुलिन को भी
नियंत्रित करने में
मददगार हो सकता
है ।
9. ब्लड
प्रेशर में लाभदायक
मखाना के गुण
बात करें, ब्लड प्रेशर में मखाने के फायदे की, तो माना जाता है कि मखाने के नियमित इस्तेमाल से इस गंभीर समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। कारण यह है कि इसमें पाया जाने वाला एल्कलॉइड हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। इसलिए, बीपी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए मखाने का सेवन किया जा सकता है।
10. वजन
कम करने के
लिए मखाने के
लाभ
वजन
घटाने में मखाने
के फायदे की
बात करें, तो
इसका उपयोग मोटापे
की समस्या से
छुटकारा दिलाने में मददगार
साबित हो सकता
है। एनसीबीआई की
वेबसाइट पर प्रकाशित
शोध के मुताबिक,
कमल के बीज
(मखाना) का एथेनॉल
अर्क शरीर में
फैट सेल्स को
नियंत्रित करने में
मददगार साबित हो सकता
है। साथ ही
यह फैट सेल्स
के वजन को
भी कम कर
सकता है। इसलिए,
ऐसा कहा जा
सकता है कि
इसका उपयोग वजन
को कम करने
में सहायक साबित
हो सकता है
मखाने
से जुडी खास
रेसिपी आपके लिए:-


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