2020 करवाचौथ  कब है | करवाचौथ  कैसे मनाते है? 
| KARWACHAUTH SPECIAL||

देखो चाँद आया, चाँद नजर आया, सदा सुहागन रहो, ऐसी कई लकोक्ति को पूरा करता हुआ, एक त्यौहार जिसको करवाचौथ कहते है, पति पत्नी के जोड़े और सुखी सम्भंधों का साक्षी है ये त्यौहार, करवाचौथ!
 2020 इस साल करवाचौथ 4 नवेम्बर का है, तो चलिए जानते है करवाचौथ के बारे में!
कैसे मनाया जाता है करवाचौथ| विस्तार से
करवाचौथ दिन की शुरुआत
महिलाओं में काफी उत्साह रहता है इस त्यौहार का, महिलाएं हाथों में मेहँदी लगा कर और सिंगार करके काफी खुश और उत्साहित और आस्थावान लगती है अपने पति के प्रति! इस दिन महिलाये रात्रि में, यानि दिन शुरू होने से पहले अपना आहार लेती है और जिस खाने की वस्तु का उपयोग करती है, उसे सर्गी (वार्मसीली/सेवियन) कहा जाता है!
क्या होती है सर्गी ?
सरगी महिलाएं इसी लिए खाती  है, क्यों की उन्हें पूरा दिन फिर कुछ नहीं खाना होता है, और न ही जल ग्रहण करना होता है, ऐसा कहते है की सरगी खाने से पूरे दिन शरीर में ऊर्जा बनी रहती है , और महिलाएं अपने पति के लिए पूरा दिन जल और भोजन का त्याग किये, हुए अपने हमसफ़र की लम्बी उम्र और प्यार के लिए ईश्वर से प्राथना करती है! 
और शाम के समय महिलाएं एक जगह एकत्रित हो एक साथ पूजा करती है और इंतज़ार करती है कि करवाचौथ का चाँद कब निकलेगा
जैसे हे चाँद निकलता है तो अपने पति को आटा छनि   का इस्तेमाल करते हुए, अपने पति को उसमे से देखती है और चाँद को जल देती है
चाँद दिख जाने के बाद महिलाएं भोजन ग्रहण करती है तो कुल मिलकर देखा जाये तो ये विवाहित दम्पत्ति के लिए एक अवसर होता है, अपने अपने प्यार को उजाग्गर करने का.
करवाचौथ की थाली को घुमाते हुए महिलाएं गाती है ये पारम्परिक लोकगीत
Available Location for Mehandi 
South Delhi, Delhi, Gurugram
 करवा थाली को पहले चक्कर में घुमाते  हुए गीत -  (महिलाओं द्वारा)
"वीरो कुड़िये करवाड़ा,
सर्व सुहागन करवाड़ा,
ऐ कट्टी ना तेरी ना,
कुंभ चरखरा फेरि ना,
ग्वंद पेयर पयीन ना,
सुई चा ढागा पेई ना,
रूठडा मणियन ना,
सुथरा जगायण ना,
बहिन प्यारे वीरा,
चन चड्डे ते पानि पेना,
ले वीरो कुरीये करवारा,
ले सर्व सुहागन करवारा। "
सातवें दौर में करवा थाली को घुमाते हुए गीत - (महिलाओं द्वारा)
वीरो कुड़िये करवाड़ा,
सर्व सुहागन करवाड़ा,
ऐ कट्टी नै तेरी नी,
कुंभ चरखरा फिरि भये,
ग्वंद पेयर पीन भये,
सुई चा ढागा पेई भी,
आर पेयर पयीन भई,
रूठडा मणियन भये,
सुथरा जगायण भी,
बहिन प्यारे वीरा,
चन चड्डे ते पानि पेना,
ले वीरो कुरीये करवारा,
ले सर्व सुहागन करवारा।
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